Skip to main content

Posts

गौतम बुद्ध (सिद्धार्थ) के बारे में रोचक तथ्य !

गौतम बुद्ध (सिद्धार्थ) जिन्होंने अपने जीवन में बहुत सारे सुखो को छोड़कर दुनिया वालो को एक अपने विचारो से नया रास्ता दिखाने वाले भगवान गौतम बुद्ध (सिद्धार्थ) भारत के महान दार्शनिक, वैज्ञानिक, धर्मगुरु, एक महान समाज सुधारक और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे, तो आएये दोस्तों अब हम महात्मा गौतम बुद्ध (सिद्धार्थ) के बारे में कुछ अनसुने रोचक तथ्य के बारे में जानते है ! By:-culturalboys 

जानिए जैन धर्म से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में....

जैन धर्म के तथ्य – जैन धर्म की स्थापना भगवान रिषभदेव ने की थी। जैन धर्म के अनुयायी दो तरह के होते हैं जिन्हें श्वेतांबर जैन और दिगंबर कहा जाता है।  श्वेतांबर जैन तन ढ़कने के लिए पतले से सफेद कपड़े का उपयोग करते हैं तो वहीं दिगंबर जैन दिशाओं को ही अपने वस्त्र मानते हैं और आजीवन नग्न रहते हैं। देश-विदेश में  जैन धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। जैन धर्म के अनुयायी सामाजिक जीवन से संन्यास लेकर दीक्षा लेते हैं और उन्हें संत के रुप में जीवन बिताना पड़ता है जो कि बेहद कठिन होता है। जैन धर्म से जुड़े जैन धर्म के तथ्य बहुत ही रोचक होते हैं। आइए जानते हैं जैन धर्म के तथ्य और कुछ नियमों के बारे में । जैन धर्म के तथ्य – जैन समुदाय के लोग सबसे ज्यादा अमीर माने जाते हैं। अमेरीका में जैन कम्यूनिटी सबसे ज्यादा पैसे वाली मानी जाती है वहीं भारत में रहने वाले जैन सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे होते हैं। संसार में होने वाले हीरे के व्यापार पर 60 प्रतिशत नियंत्रण जैन कारोबारियों का है। जैन धर्म में दयालुता को पहला स्थान दिया गया है। जैन धर्म में हत्या करना पाप माना जाता है। यहां तक की पेड़-पौधों, जानवरों ...

आखिर क्या है मुस्लिम महिलाओं के बुर्का पहनने का राज !

नई दिल्ली (उत्तम हिन्दू न्यूज): दुनिया में ऐसे कई सारे धर्म है जो अपने पहनावे के कारण जाने जाते है। आज हम मुस्मिल महिलाओं के बारे में बताने जा रहे है कि महिलाएं आखिर बुर्का क्यों पहनती है। बुर्के में महिलाओं को देखकर आपके दिमाग में भी ये ख्याल जरुर आया होगा। बता दें कि अल्लाह की किताब "कुरान शरीफ" में इस बात का जिक्र पूरे विस्तार से किया गया है। कुरान में बताया गया है कि महिलाओं को बुर्का पहनना इसलिए जरूरी है क्योंकि अल्लाह का यह कहना है कि अपने पति के अलावा किसी भी पराए मर्द को अपनी खूबसूरती नहीं दिखानी चाहिए इसलिए सभी लड़कियां और महिलाएं बुर्का पहनती है। कुरान में ऐसा लिखा गया है की मुस्लिम महिलाओं को ऐसा लिबास पहनना चाहिए जिससे उनका चेहरा, पैर और आँख के अलावा शरीर का कोई भी हिस्सा न दिखे। तो अब आप समज गये होंगे की मुस्लिम महिलाएं बुर्का क्यों पहनती है और उनके लिए बुरखे का कितना बड़ा महत्व होता है By:-culturalboys  

बपतिस्मा का अर्थ बाइबल क्या बताती है?

बाइबिल यह भी शिक्षा देती है कि, “जो विश्वास करे और बप्तिस्मा ले उसी का उद्धार होगा l” (मरकुस 16:16) मूल भाषा अर्थात यूनानी भाषा बैप्टिसो शब्द से आया है जिसका अर्थ है ‘डुबोना’ या किसी वस्तु को पानी के अंदर डूबा कर निकालना, इसे हम डूबकी लेने से भी समझ सकते हैं. By:-culturalboys.

ईसाई धर्म "

क्रिश्चियन/ईसाई रिलिजन/मज़हब (मसीही) एक इब्राहीमी मजहब है जो प्राचीन यहूदी परंपरा से निकला है। अन्य इब्राहीमी मज़हबों के सामान यह भी एक एकेश्वरवादी रिलिजन है। ईसाई परंपरा के अनुसार इसकी शुरूआत प्रथम सदी ई. में फलिस्तीन में हुई, जिसके अनुयायी 'क्रिश्चियन/ईसाई' कहलाते हैं। यह रिलिजन यीशु मसीह की उपदेशों पर आधारित है। ईसाइयों में मुख्ययतः तीन सम्प्रदाय हैं, कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स तथा इनका रिलिजियस ग्रंथ बाइबिल है।[1] ईसाइयों के रिलिजियस स्थल को चर्च कहते हैं। विश्व में सर्वाधिक लोग क्रिश्चियन/ईसाई रिलिजन को मानते हैं। By:-culturalboys. 

क्या औरतों को है मस्जिदों में जाने की इजाजत ?

क्या आपने कभी महिलाओं को मस्जिद में जा कर नमाज अदा करते देखा है? क्या इस्लाम महिलाओं की ऐसा करने की इजाजत नहीं देता? हमने इस सवाल का जवाब जानना चाहा. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने केरल में स्थित सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी. उससे दो साल पहले मुंबई स्थित हाजी अली दरगाह में महिलाओं की एंट्री गर्भगृह तक भी कोर्ट के आदेश के बाद ही संभव हो सकी. इसके बाद केरल में ही हिंदू महासभा ने कोर्ट में मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश के लिए पेटिशन डाली. महिलाओं के पक्ष में कई फैसले आने के बाद अब आवाज उठ रही है कि मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने दिया जाए. धीरे धीरे ये आवाज सभी मस्जिदों में पहुंचने लगी है. ये सुगबुगाहट कहीं बढ़ कर तेज ना हो जाए, उससे पहले ही ज्यादातर मुस्लिम धर्मगुरु महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश और नमाज के पक्ष में आ गए हैं. लेकिन क्या ये वाकई संभव है ? By:-culturalboys

Sikhism: सिख धर्म की कुछ ऐसी रोचक बातें जो आपने शायद हीं सुनी होंगी !

नानकशाही कैलेंडर के हिसाब से गुरु नानक का जन्मोत्सव अप्रैल में मनाया जाता है. उनकी जयंती 4 यानी चार नवंबर को होती है. पंद्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में भारत के पंजाब में सिख धर्म की स्थापना हुई थी. इसके सदस्यों को सिखों के रूप में जाना जाता है.सिख धर्म के सबसे पहले गुरु गुरुनानक देव जी ने लोगों को सिख धर्म की जानकारी दी थी. तब भारत में हिंदू और इस्लाम धर्म था, लेकिन सिख धर्म दोनों से अलग है. नानकशाही कैलेंडर के हिसाब से गुरु नानक का जन्मोत्सव अप्रैल में मनाया जाता है. उनकी जयंती 4 यानी चार नवंबर को होती है. जिसे गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है. गुरुनानक देव के बाद 9 गुरु और आए, जिन्होंने सिख धर्म को बढ़ाया. सिख धर्म के 5वें धर्म गुरु 'गुरु अर्जुन' के समय तक सिख धर्म पूरी तरह से स्थापित हो चुका था. उन्होंने सिखों के आदि ग्रंथ नामक धर्म ग्रंथ का संकलन भी किया था. सिखों के गुरु नानक देव के अलावा नौ अन्य गुरु आए. सिख सभी 10 मानव गुरु को मानते हैं. गुरु नानक का सबसे अहम संदेश था कि ईश्वर एक है और हर इंसान ईश्वर तक सीधे पहुंच सकता है. इसके लिए कोई रिवाज़ और पुजारी या मौलवी ...