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Mathematics Solution





Algebraic Expression and Identities Chapter-9 Important Questions with Answers

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Rational Numbers Chapter-1 Important Questions with Answer


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गुरूद्वारे में किसकी पूजा की जाती हैं ?

गुरुद्वारा (पंजाबी: ਗੁਰਦੁਆਰਾ), जिसका शाब्दिक अर्थ गुरु का द्वार है सिक्खों के भक्ति स्थल हैं जहाँ वे अपने धार्मिक अनुष्ठान भी करते हैं। अमृतसर का हरमिन्दर साहिब गुरुद्वारा, जिसे स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। एक गुरुद्वारा / सिख मंदिर (गुरुद्वारा; जिसका अर्थ है "गुरु का द्वार") सिखों के लिए एक सभा और पूजा स्थल है।  सिख गुरुद्वारों को गुरुद्वारा साहिब भी कहते हैं।  गुरुद्वारों में सभी धर्मों के लोगों का स्वागत किया जाता है।  प्रत्येक गुरुद्वारे में एक दरबार साहिब है जहां सिखों के वर्तमान और सार्वकालिक गुरु, ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को एक प्रमुख केंद्रीय स्थिति में एक तखत (एक ऊंचा सिंहासन) पर रखा गया है।  मण्डली की उपस्थिति में, रागी (जो राग गाते हैं) गाते हैं, और गुरु ग्रंथ साहिब से छंदों की व्याख्या करते हैं। सभी गुरुद्वारों में एक लंगर हॉल है, जहाँ लोग गुरुद्वारे में स्वयंसेवकों द्वारा परोसे जाने वाले मुफ्त शाकाहारी भोजन का सेवन कर सकते हैं। [१]  उनके पास एक चिकित्सा सुविधा कक्ष, पुस्तकालय, नर्सरी, कक्षा, बैठक कक्...

आखिर शिव ने क्यों थाम लिया था त्रिशूल, डमरू, नाग और चंद्रमा !

माना जाता है कि सृष्टि में जब भगवान शिवजी प्रकट हुए तो उनके साथ ही रज, तम और    सत गुण भी प्रकट हुए। सावन का महीना चल रहा है और इस महीने को भगवान शिवजी का प्रिय महीना माना जाता है। भगवान शिवजी की तस्वीरों में उनके एक हाथ में डमरू दिखता है तो दूसरे में त्रिशूल। वहीं उनके गले में नाग लटक रहा है और उनके सिर पर चंद्रमा। आज हम आपको बताएंगे, भगवान शिवजी के एक हाथ में डमरू, त्रिशूल, गले में नाग और सिर पर चंद्रमा होने की कहानी। शिवपुराण में भगवान शिवजी से जुड़ी कई बातों के बारे में बताया गया है। भगवान शिवजी को सभी प्रकार के अस्त्रों को चलाने में महारथ हासिल है। लेकिन भगवान शिवजी के लिए धनुष और त्रिशूल को प्रमुख माना गया है। भगवान शिवजी के धनुष का नाम पिनाक था। माना जाता है कि सृष्टि में जब भगवान शिवजी प्रकट हुए तो उनके साथ रज, तम और सत गुण भी प्रकट हुए। इन्हीं तीन गुणों से मिलकर भगवान शिवजी का त्रिशूल बना। जब सृष्टि में सरस्वती पैदा हुई तो उनकी वाणी से ध्वनि पैदा हुई, लेकिन ये ध्वनि सुर और संगीत विहीन थे। आवाज में संगीत पैदा करने के लिए भगवान शिवजी ने 14 बार डमरू बजाया और नृत्य किया। ...

क्यों चावल के बगैर पूरी नहीं होती कोई पूजा ?

  हिन्दू धर्म में पूजा के दौरान चावल का इस्तेमाल होता है चावल को अक्छत भी कहा जाता है इसका भावपूर्ण  से जुड़ा है यानी जिसकी छति न हुई हो अन्न के रूप में चावल सबसे शुद्ध है धन के अंदर बंद होने से पसु पक्षी इसे झूठा नहीं कर पाते  है श्री कृष्ण ने भगवत गीता में कहा है की मुझे अर्पित किये बिना जो कोई अन्न का प्रयोग करता है वो अन्न धनं चोरी का माना जाता है इस कारण चावल के बगैर  पूजा पूरी नहीं होती |   By:- CulturalBoys