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Showing posts with the label Facts about all cultures.

क्यों पहनी जाती है कछुए की अंगूठी ?

कछुए  का सीधा संबंध मां लक्ष्मी से माना  जाता  है, क्योंकि माता की उत्पत्ति भी जल से ही हुई थी।  मान्यता है कि इसे धारण करने से जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।इस  अंगूठी  को  पहनने  से पहले इसकी दिशा का विशेष ध्यान रखें।    By:-culturalboys.

नवरात्रि के आठवें दिन होती है मां महागौरी की पूजा, जानें पूजा विधि, महत्व, भोग, आरती और शुभ मुहूर्त !

  आज 20 अप्रैल दिन मंगलवार को चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन है। चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के आठवें दिन का महत्व बहुत अधिक होता है। इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। मां महागौरी का रंग अंत्यत गोरा है। इनकी चार भुजाएं हैं और मां बैल की सवारी करती हैं। मां का स्वभाव शांत है। आइए जानते हैं मां महागौरी की पूजा विधि, महत्व, भोग, आरती और शुभ मुहूर्त. मां महागौरी पूजा विधि... सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।  मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है। मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम लगाएं।  मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें। मां महागौरी को काले चने का भोग अवश्य लगाएं। मां महागौरी का अधिक से अधिक ध्यान करें। मां की आरती भी करें। अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व...

रंग इस्लाम में हराम?

इसके बाद जब मैंने होली की ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड की तो कुछ लोगों ने मुझे कहा कि मुसलमानों को होली नहीं खेलनी चाहिए क्योंकि इस्लाम में रंग हराम माना जाता है. मैं उन लोगों से इस बात का सबूत मांगना चाहती थी लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि मैं जानती हूं कि इस तरह की ग़लत धारणाएं अज्ञान और पूर्वाग्रहों से ही पनपती हैं. इस तरह के अज्ञानता विचारों से लड़ने का एक ही तरीक़ा है- उन पर ध्यान ही ना देना. नमाज़ पढ़ने के लिए जब हम वुज़ू करते हैं, तब हमारी त्वचा पर ऐसा कुछ भी नहीं लगा होना चाहिए, जो पानी को त्वचा के सीधे संपर्क में आने से रोके. ऐसे में बस इतना करना होगा कि वुज़ू करने से पहले गुलाल को धोना होगा. 700 साल पहले हज़रत अमीर ख़ुसरो की लिखी यह क़व्वाली आज भी काफ़ी लोकप्रिय है! By:-culturalboys.