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आखिर क्यों प्रभु श्रीकृष्ण को "56" भोग लगाया जाता है?

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि प्रभु श्रीकृष्ण ( Krishna ) को "56" भोग का भोग लगाया जाता है परन्तु ऐसा होने के पीछे क्या कारण है? आखिर "56" भोग की इस परंपरा की शुरुआत कहाँ से हुई ? त्रेतायुग के समय की बात है। स्वर्ग के अधिपति राजा इंद्र जो कि सभी देवताओं के राजा भी माने जाते हैं। मनुष्य तथा देवताओं के पुजनीय है। सभी के द्वारा इंद्र की पूजा बड़े धूमधाम से की जाती थी। क्योंकि लोगों का मानना था कि इंद्र ही सबसे बड़े देवता हैं और यदि इंद्र क्रोधित हुए तो धरती पर अल्पवृष्टि या अतिवृष्टि हो जायेगी। इसी डर के कारण सभी मनुष्य इंद्र से बहुत डरते थे और उन्हें प्रसन्न रखने के लिए उनकी पूजा बड़े धूमधाम से की जाती थी। मनुष्यों के डर को इंद्र अपना सम्मान समझता था। एक बार दीपावली के अगले दिन सभी वृन्दावनवासी इंद्र की पूजा की तैयारियों में व्यस्त थे। प्रभु श्रीकृष्ण ( krishna ) अपनी गैयाओं के साथ जंगल की और प्रस्थान कर रहे थे कि तभी यशोदा मैयां ने उन्हें कहा लाला पहले इंद्र की पूजा कर लो उसके बाद गइया चराने जाना प्रभु श्रीकृष्ण ने अपनी मैयां से पूछा कि मैयां हम इंद्र की पूजा क्यों करते ह...

पूजा घर में कौन सा कलर करवाना चाहिए?

  इसी सकारात्मकता को बनाये रखने के लिए  पूजा घर  में उचित रंग का होना बहुत जरूरी है। वास्तु के अनुसार  पूजा घर  की दिवारों पर हल्के पीले रंग को सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप लाल, गेरुआ या केसरिया रंग भी करवा सकते हैं। और फर्श के लिए सफेद रंग के पत्थर का चुनाव करना बेहतर होता है । By:-culturalboys.

नवरात्रि का तीसरा दिन आज, मां चंद्रघंटा की होगी पूजा, नोट कर लें पूजन विधि, मंत्र, आरती, महत्व और भोग !

 इस समय चैत्र नवरात्रि चल रही हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा- अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता चंद्रघंटा को राक्षसों की वध करने वाला कहा जाता है। ऐसा माना जाता है मां ने अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखा हुआ है। माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है, जिस वजह से भक्त मां को चंद्रघंटा कहते हैं। आइए जानते हैं माता चंद्रघंटा की पूजा विधि, महत्व, मंत्र और कथा...   माता चंद्रघंटा की पूजा विधि...  नवरात्रि के तीसरे दिन विधि- विधान से मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की अराधना करनी चाहिए। मां की अराधना उं देवी चंद्रघंटायै नम: का जप करके की जाती है। माता चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प अर्पित करें। आप मां को दूध से बनी हुई मिठाई का भोग भी लगा सकती हैं। नवरात्रि के हर दिन नियम से दुर्गा चालीस और दुर्गा आरती करें।   By:-culturalboy...

काली माता को बलि क्यों दी जाती है ?

बली प्रथा : देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि का प्रयोग किया जाता है। बलि प्रथा के अंतर्गत बकरा, मुर्गा या भैंसे की बलि दिए जाने का प्रचलन है। हिन्दू धर्म में खासकर मां काली और काल भैरव को बलि चढ़ाई जाती है।   By:-culturalboys.

वैष्णो देवी मंदिर के बारे में रोचक तथ्य !

  माँ वैष्णो देवी का मंदिर भारत का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल है। यह मंदिर जम्मू कश्मीर के राज्य के त्रिकुट पर्वत पर बसा हुआ है। माँ वैष्णो देवी का मंदिर पहाड़ो पर एक गुफा में स्थित है। इस मंदिर तक पहुचने के लिए भक्तों को कठिन चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। By:-culturalboys.

आखिर शिव ने क्यों थाम लिया था त्रिशूल, डमरू, नाग और चंद्रमा !

माना जाता है कि सृष्टि में जब भगवान शिवजी प्रकट हुए तो उनके साथ ही रज, तम और    सत गुण भी प्रकट हुए। सावन का महीना चल रहा है और इस महीने को भगवान शिवजी का प्रिय महीना माना जाता है। भगवान शिवजी की तस्वीरों में उनके एक हाथ में डमरू दिखता है तो दूसरे में त्रिशूल। वहीं उनके गले में नाग लटक रहा है और उनके सिर पर चंद्रमा। आज हम आपको बताएंगे, भगवान शिवजी के एक हाथ में डमरू, त्रिशूल, गले में नाग और सिर पर चंद्रमा होने की कहानी। शिवपुराण में भगवान शिवजी से जुड़ी कई बातों के बारे में बताया गया है। भगवान शिवजी को सभी प्रकार के अस्त्रों को चलाने में महारथ हासिल है। लेकिन भगवान शिवजी के लिए धनुष और त्रिशूल को प्रमुख माना गया है। भगवान शिवजी के धनुष का नाम पिनाक था। माना जाता है कि सृष्टि में जब भगवान शिवजी प्रकट हुए तो उनके साथ रज, तम और सत गुण भी प्रकट हुए। इन्हीं तीन गुणों से मिलकर भगवान शिवजी का त्रिशूल बना। जब सृष्टि में सरस्वती पैदा हुई तो उनकी वाणी से ध्वनि पैदा हुई, लेकिन ये ध्वनि सुर और संगीत विहीन थे। आवाज में संगीत पैदा करने के लिए भगवान शिवजी ने 14 बार डमरू बजाया और नृत्य किया। ...

ईसाई धर्म के संस्थापक कौन थे?

 ईसाई लोग ईश्वर को तीन रूपो में मानते है। 1 - परमपिता 2 - परमपिता का पुत्र - ईसा मसीह 3 - पवित्र आत्मा - जो हर एक प्राणी के इतिहास में निवास करती है। इसके अलावा ईसाई धर्म से संबन्धित पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिये आप एक ब्लॉग पोस्ट पढ़ सकते है। ईसा मसीह को ही ईसाई धर्म का संस्थापक माना जाता है। By:-culturalboys.

महाशिवरात्रि का मतलब क्या है ?

शिवजी, रात्रि एक प्रहर विश्राम करते हैं। उनके इस विश्राम के काल को 'महाशिवरात्रि' कहते हैं। महाशिवरात्रि दक्षिण भारत एवं महाराष्ट्र में शक संवत् कालगणनानुसार माघ कृष्ण चतुर्दशी तथा उत्तर भारत में विक्रम संवत् कालगणनानुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को आती है। By:-culturalboys.

महाशिवरात्रि के बारे में 5 बातें!

महाशिवरात्रि की तैयारी के दौरान, हमने असीम आध्यात्मिक संभावनाओं से भरपूर इस रात से जुड़ी पांच बातों की सूची तैयार की है। ईशा योग केंद्र में महाशिवरात्रि का रात भर चलने वाला उल्लासमय और आनंदपूर्ण उत्सव इस बार 7 मार्च को मनाया जाएगा। जबर्दस्त आध्यात्मिक संभावनाओं वाली इस रात के बारे में पांच बातें जानने योग्य हैं। क्या हैं वे पांच बातें? 1.मानव शरीर में ऊर्जा कुदरती रूप से ऊपर की ओर चढ़ती है। सद्‌गुरु: हर चंद्रमास के चौदहवें दिन और अमावस्या के एक दिन पहले शिवरात्रि होती है। इस दिन इंसानी तंत्र में ऊर्जा कुदरती तौर पर ऊपर की ओर बढ़ती है। भारतीय कैलेंडर में माघ (फरवरी/मार्च) के महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है क्योंकि इस दिन खास तौर पर प्रकृति मानव शरीर में ऊर्जा को बढ़ाने में सहायता करती है। योग और आध्यात्मिक प्रक्रिया का पूरा मकसद इंसान को उसकी सीमाओं से सीमाहीनता की ओर ले जाना है। इसके लिए सबसे जरूरी मूलभूत प्रक्रिया है, ऊर्जा का ऊपर की ओर बढ़ना। इसलिए ऐसे सभी लोग, जो अपनी वर्तमान अवस्था से थोड़ा अधिक होना चाहते हैं, उनके लिए शिवरात्रि महत्वपूर्ण है और महाशिवरात...

ईसाई धर्म के त्योहार कौन कौन से हैं?

हर देश में क्रिसमस का  त्योहार  अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। लेकिन कम ही लोग जानते  हैं  कि क्रिसमस का  त्योहार ईसाई धर्म  के कैथोलिक शाखा के लोग पूरे 12 दिनों तक मनाते  हैं । क्रिसमस के पहले दिन से ही इस  त्योहार  का जश्न शुरू हो जाता है। क्रिश्चियन समुदाय के लोग इस दिन को ईसा मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाते  हैं !   By:-culturalboys 

हिन्दू का अर्थ क्या है ?

हिन्दू शब्द  किसी भी ऐसे व्यक्ति का उल्लेख करता है जो स्वयं को सांस्कृतिक रूप से, मानव-जाति के अनुसार या नृवंशतया (एक विशिष्ट संस्कृति का अनुकरण करने वाले एक ही प्रजाति के लोग), या धार्मिक रूप से  हिन्दू  धर्म से जुड़ा हुआ मानते हैं।  हिन्दू शब्द  का ऐतिहासिक अर्थ समय के साथ विकसित हुआ है।         By:-culturalboys.                       

सिख धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई?

  सिख धर्म की शुरुआत सिख धर्म के सबसे पहले गुरु गुरुनानक देव जी द्वारा दक्षिण एशिया के पंजाब में हुई थी. उस समय पंजाब में हिंदू और इस्लाम धर्म था. तब गुरुनानक देव ने लोगों को सिख धर्म की जानकारी देनी शुरू की, जो इस्लाम और हिंदू धर्म से काफी अलग था. गुरुनानक देव के बाद 9 गुरु और आए, जिन्होंने सिख धर्म को बढ़ाया. By:-culturalboys.

ईसाई धर्म कैसे बना?

ईसाई परंपरा के अनुसार इसकी शुरूआत प्रथम सदी ई. में फलिस्तीन में हुई,  जिसके अनुयायी 'क्रिश्चियन/ईसाई' कहलाते हैं। यह धर्म यीशु मसीह की उपदेशों पर आधारित है। ईसाइयों में मुख्ययतः तीन सम्प्रदाय हैं, कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स तथा इनका धर्मिक ग्रंथ बाइबिल है।   By:-culturalboys.

हज पर जाने का मक़सद क्या होता है ?

इस्लाम के कुल पाँच स्तंभों में से हज पांचवां स्तंभ है. सभी स्वस्थ और आर्थिक रूप से सक्षम मुसलमानों से अपेक्षा होती है कि वो जीवन में एक बार हज पर ज़रूर जाएं. हज को अतीत के पापों को मिटाने के अवसर के तौर पर देखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि हज के बाद उसके तमाम पिछले गुनाह माफ़ कर दिए गए हैं और वो अपनी ज़िंदगी को फिर से शुरू कर सकता है. ज़्यादातर मुसलमानों के मन में जीवन में एक बार हज पर जाने की इच्छा होती है.    By:-culturalboys.

इस्लाम से पहले मूर्ति पूजा होती थी काबा में !

दुनिया भर के लाखों मुसलमान हज के लिए हर साल सऊदी अरब पहुंचते है. पांच दिनों तक चलने वाली यह हज यात्रा इस साल रविवार से शुरू हुई है. सऊदी अरब के मक्का शहर में काबा को इस्लाम में सबसे पवित्र स्थल माना जाता है. इस्लाम का यह प्राचीन धार्मिक अनुष्ठान दुनिया के मुसलमानों के लिए काफ़ी अहम है. इस साल उम्मीद है कि हज पर 20 लाख से ज़्यादा मुसलमान सऊदी अरब पहुंचेंगे. !--LikeBtn.com BEGIN--> ! By:-culturalboys.

हिंदू धर्म का प्राचीन धर्म शास्त्र !

  धर्मशास्त्र हिन्दू  परंपरा में महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि- एक, यह एक आदर्श गृहस्थ के लिए धार्मिक नियमों का स्रोत है, तथा दूसरे, यह  धर्म , विधि, आचारशास्त्र आदि से संबंधित  हिंदू  ज्ञान का सुसंहत रूप है। ... उनका  धर्मशास्त्र  का इतिहास, पाँच भागों में प्रकाशित है,  प्राचीन  भारत के सामाजिक विधियों तथा प्रथाओं का विश्वकोश है। By:-culturalboys 

पहला धर्म कौनसा है !

हिन्दू धर्म (संस्कृत: हिन्दू धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत, नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसके अलावा सूरीनाम, फिजी इत्यादि। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म माना जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। By:-culturalboys 

हिन्दू धर्म की पहचान |

  हिन्दू धर्म  को दुनिया का सबसे प्राचीन  धर्म  माना जाता है। कुछ लोग इसे मूर्तिपूजकों, प्रकृति पूजकों या हजारों देवी-देवताओं के पूजकों का  धर्म  मानकर इसकी आलोचना करते हैं, कुछ लोग इसको जातिवादी धारणा को पोषित करने वाला  धर्म  मानते हैं, लेकिन यह उनकी सतही सोच या नफरत का ही परिणाम है । By:-culturalboys

जानें, क्यों जरूरी मानी जाती है जुम्मे की नमाज?

नई दिल्ली: आपके मन में भी यह सवाल आता होगा कि इस्लाम धर्म में अल्लाह की इबादत करने का समय इतना अहम क्यों है. खासतौर से शुक्रवार का दिन बेहद खास होता है. मुस्लिम समुदाय में इस दिन नमाज पढ़ना जरूरी माना जाता है. शुक्रवार के दिन मस्जिद में या किसी पार्क में भी नमाज पढ़ते लोग दिख जाएंगे आपको. पार्क ही क्यों, नमाजी किसी भी साफ-सुथरी जगह पर आसन बिछाकर नमाज पढ़ लेते हैं. इस्लाम धर्म में शुक्रवार को जुम्मे का दिन कहा जाता है. जुम्मे के दिन सभी मुसलमानों को एकत्रित होकर अल्लाह का नाम लेना होता है. दरअसल, इस दिन लोग एकत्रित होकर एक दूसरे के साथ अपना सुख-दुख बांटते हैं और अपनी परेशानियों का बोझ थोड़ा कम करते हैं. इसलिए कहा जाता है कि अल्लाह की इबादत के साथ ही शुक्रवार का दिन भाईचारे को भी समर्पित है. क्या है जुम्मे का महत्व. इस्लाम में जुम्मे का खास महत्व है. जुम्मे के दिन को अल्लाह के दरबार में रहम का दिन माना जाता है. इस दिन नमाज पढ़ने वाले इंसान की पूरे हफ्ते की गलतियों को अल्लाह माफ कर देते हैं और उसे आने वाले दिनों में एक अच्छा जीवन जीने का संदेश देते हैं. By:-culturalboys.

इस्लाम के 5 रोचक तथ्य |

  1-अल्लाह को 99 नाम है और हर नाम का अलग मतलब है। जैसे ‘अल-रहमान’ का मतलब है ‘सबसे दयालु’, अल-हफी का मतलब है ‘सबका रखवाला’ आदि। 2-  हजरत मुहम्मद के जन्मदिन को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के नाम से मनाया जाता है. 3- हजरत मोहम्मद साहब पर जो अल्लाह की पवित्र किताब उतारी गई है, वह है- कुरआन। अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलै. के मार्फत पवित्र संदेश (वही) सुनाया। उस संदेश को ही कुरआन में संग्रहित किया गया हैं। कुरआन को नाजिल हुए लगभग 14 सौ साल हो गए लेकिन इस संदेश में जरा भी रद्दोबदल नहीं है। 4-अधिकतर मुस्लिम अरब लोग नहीं होता। दुनिया के केवल 15 फीसदी मुस्लिम ही अरब हैं। 5-इस्लाम धर्म की मान्यताओं में बेटियों को वरदान माना जाता है । By:-culturalboy