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नवरात्रि के आठवें दिन होती है मां महागौरी की पूजा, जानें पूजा विधि, महत्व, भोग, आरती और शुभ मुहूर्त !

  आज 20 अप्रैल दिन मंगलवार को चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन है। चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के आठवें दिन का महत्व बहुत अधिक होता है। इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। मां महागौरी का रंग अंत्यत गोरा है। इनकी चार भुजाएं हैं और मां बैल की सवारी करती हैं। मां का स्वभाव शांत है। आइए जानते हैं मां महागौरी की पूजा विधि, महत्व, भोग, आरती और शुभ मुहूर्त. मां महागौरी पूजा विधि... सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।  मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है। मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम लगाएं।  मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें। मां महागौरी को काले चने का भोग अवश्य लगाएं। मां महागौरी का अधिक से अधिक ध्यान करें। मां की आरती भी करें। अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व...

नवरात्रि के छठे दिन ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा, जानें मुहूर्त, शुभ रंग और भोग !

  चैत्र नवरात्रि का कल 7 अप्रैल 2022 को छठवां दिन है.  छठवें दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां कात्यायनी की विधिवत पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है. इनकी पूजा के प्रभाव से कुंडली में विवाह योग भी मजबूत होता है. मां कात्यायनी की भक्ति और ध्यान से मनुष्य को अर्थ, कर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. मां कात्यायनी मां दुर्गा का छठा रूप है. मां ने किया था महिषासुर का वध. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया था. राक्षस महिषासुर का वध करने के कारण इन्हें दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी महिसासुरमर्दिनी कहा जाता है. आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा- विधि, मंत्र, भोग और आरती के बारे में. इस विधि से अगर मां की पूजा करेंगे तो मां अवश्य ही खुश हो जाएंगी. इसलिए पड़ा मां का नाम कात्यायनी.  देवी पुराण के अनुसार, कात्यायन ऋषि के घर उनकी बेटी के रुप में जन्म लेने के कारण ही मां दुर्गा के इस स्वरुप का नाम कात्यायनी पड़ा.  ऐसा कहा जाता है कि, जो भी भक्त नवरात्रि के छठे दिन...

नवरात्रि के पांचवें दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा, जानिए पूजा विधि, मंत्र, आरती और सब कुछ !

 चैत्र नवरात्रि के पंचम दिवस दुर्गा मां के स्कंदमाता रूप की पूजा- अर्चना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। वहीं पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं देवी हैं स्कंदमाता। आपको बता दें कि स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है इनकी उपासना से भक्त की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही भक्त को मोक्ष मिलता है। वहीं, मान्‍यता ये भी है कि इनकी पूजा करने से संतान योग की प्राप्‍ति होती है। जानिए नवरात्रि के पांचवे दिन की पूजा विधि, व्रत कथा, आरती, मंत्र, मुहूर्त… जानिए क्या है मां स्कंदमाता की पूजा विधि:  नवरात्रि का त्योहार सबसे पावन और पवित्र माना जाता है। इसलिए पंचम दिवस सबसे पहले स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। अब घर के मंदिर या पूजा स्‍थान में चौकी पर स्‍कंदमाता की तस्‍वीर या प्रतिमा स्‍थापित करें। इसके बाद गंगाजल से शुद्धिकरण करें फिर एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्‍के डालें और उसे चौकी पर रखें। अब पूजा का संकल्‍प लें। इसके बाद स्‍कंदमाता को रो...

नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कूष्मांडा देवी की उपासना, जानें पूजा विधि, मंत्र और भोग !

पूरे देश में नवरात्रि की धूम देखने को मिल रही है. नवरात्रि के नौ दिनों को बहुत ही पावन और शुभ माना जाता है. 5 अप्रैल, मंगलवार को नवरात्रि का चौथा दिन है. यह दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप देवी कूष्मांडा को समर्पित होता है! अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा मां कुष्ठमांडा ने अपने उदर से ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था.  माना जाता है जो भक्त मां के इस रूप की आराधना करते हैं, उन पर कभी किसी प्रकार का कष्ट नहीं आता. कुष्मांडा देवी को अष्टभुजा भी कहा जाता है. इनकी आठ भुजाएं हैं. अष्टभुजा देवी अपने हाथों में धनुष, बाण, कमल-पुष्प, कमंडल, जप माला, चक्र, गदा और अमृत से भरपूर कलश रखती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है. मां कूष्‍मांडा को दही और हलवे का भोग लगाया जाता है. तो चलिए जानते हैं  मां स्वरूप, भोग, पूजा विधि, शुभ रंग व मंत्र... इसलिए कहा जाता है कुष्मांडा धर्म शास्त्रों के अनुसार, अपनी मंद मुस्कुराहट और अपने उदर से ब्रह्मांड को जन्म देने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है. मां कूष्मांडा को तेज क...

चैत्र नवरात्रि का पहला दिन आज, नोट कर लें मां शैलपुत्री की पूजन विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, शुभ रंग, भोग व सामग्री लिस्ट !

चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व की 02 अप्रैल, शनिवार से शुरुआत हो रही है। नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों मे चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व की 02 अप्रैल, शनिवार से शुरुआत हो गई है। नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा का विधान है। भक्त नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास भी रखते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की विधिवत पूजा करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। जानें मां शैलपुत्री की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, प्रिय रंग व भोग- मां शैलपुत्री की ऐसे करें पूजा  नवरात्रि के प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम रूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। हिमालय की पुत्री होने के कारण मां को शैलपुत्री नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां शैलपुत्री की पूजा करने से अच्छा स्वास्थ्य और मान- सम्मान मिलता है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से उत्तम वर की प्राप्ति भी होती है। मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र अतिप्रिय होते है...