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इस्लाम में क्या है रमजान महीने का महत्व, रोजे के लिए किन बातों का रखा जाता है ख्याल !

  इस्लाम में रमजान का बहुत महत्व है। इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग एक महीने रोजे रखते हैं। इन दौरान दिन में न ही कुछ खाया जाता है और न ही कुछ पिया जाता है। रमजान के पवित्र महीने के बारे में कुरान में लिखा है कि अल्लाह ने पैगम्बर साहब को अपने दूत के रूप में चुना था। रमजान महीने के आखिरी दस दिन बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। क्योंकि इन दिनों में कुरान पूरी हुई थी। रमजान के कई महत्व हैं। रमजान के महीने में रोजा रखने के पीछे तर्क दिया जाता है कि इस दौरान व्यक्ति अपनी बुरी आदतों से दूर रहने के साथ-साथ खुद पर भी संयम रखता है। दिन में कुछ भी नहीं खाया जाता। लेकिन कहा जाता है कि खाने के अलावा व्यक्ति को खाने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। रोजे के दौरान अगर कोई व्यक्ति झूठ बोलता है, पीठ पीछे किसी की बुराई करता है, झूठी कसम खाता है, लालच करता है, या कोई गलत काम करता है तो उसका रोजा टूटा हुआ माना जाता है। रोजा रखने के बारे में कहा जाता है कि ये हमें सिखाता है कि हम अपने जिस्म के किसी भी हिस्से से कोई गलत काम ना करें। जैसे की ना गलत सुनें, ना ही अपने हाथों और पैरों से कुछ गलत काम करें। ...

नवरात्रि के नौवें दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा, पढ़ें मंत्र, आरती और कथा समेत अन्य जानकारियां !

चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां ने पृथ्वी को असुरों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए अवतार लिया था। कहा जाता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शंकर का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसके चलते इन्हें अर्द्धनारीश्वर भी कहा जाता है। आइए जानते हैं मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मंत्र, आरती और कथा। मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि: आज नवरात्रि की नवमी तिथि है और आज के दिन मां को विदा किया जाता है। इस दिन सुबह सवेरे उठ जाना चाहिए। फिर स्नान करने के बाद चौकी लगानी चाहिए। इस पर मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद मां को पुष्प अर्पित करें। मां को अनार का फल चढ़ाएं। फिर नैवेध अर्पित करें। मां को मिष्ठान, पंचामृत और घर में बनने वाले पकवान का भओग लगाया जाता है। इस दिन हवन भी किया जाता है। इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है।मां सिद्धिदात्री की कथा: मां सिद्धिदात्री को अणिमा, लघिमा, प्राप्ति,...

नवरात्रि के आठवें दिन होती है मां महागौरी की पूजा, जानें पूजा विधि, महत्व, भोग, आरती और शुभ मुहूर्त !

  आज 20 अप्रैल दिन मंगलवार को चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन है। चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के आठवें दिन का महत्व बहुत अधिक होता है। इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। मां महागौरी का रंग अंत्यत गोरा है। इनकी चार भुजाएं हैं और मां बैल की सवारी करती हैं। मां का स्वभाव शांत है। आइए जानते हैं मां महागौरी की पूजा विधि, महत्व, भोग, आरती और शुभ मुहूर्त. मां महागौरी पूजा विधि... सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।  मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है। मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम लगाएं।  मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें। मां महागौरी को काले चने का भोग अवश्य लगाएं। मां महागौरी का अधिक से अधिक ध्यान करें। मां की आरती भी करें। अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व...

नवरात्रि के छठे दिन ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा, जानें मुहूर्त, शुभ रंग और भोग !

  चैत्र नवरात्रि का कल 7 अप्रैल 2022 को छठवां दिन है.  छठवें दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां कात्यायनी की विधिवत पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है. इनकी पूजा के प्रभाव से कुंडली में विवाह योग भी मजबूत होता है. मां कात्यायनी की भक्ति और ध्यान से मनुष्य को अर्थ, कर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. मां कात्यायनी मां दुर्गा का छठा रूप है. मां ने किया था महिषासुर का वध. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया था. राक्षस महिषासुर का वध करने के कारण इन्हें दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी महिसासुरमर्दिनी कहा जाता है. आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा- विधि, मंत्र, भोग और आरती के बारे में. इस विधि से अगर मां की पूजा करेंगे तो मां अवश्य ही खुश हो जाएंगी. इसलिए पड़ा मां का नाम कात्यायनी.  देवी पुराण के अनुसार, कात्यायन ऋषि के घर उनकी बेटी के रुप में जन्म लेने के कारण ही मां दुर्गा के इस स्वरुप का नाम कात्यायनी पड़ा.  ऐसा कहा जाता है कि, जो भी भक्त नवरात्रि के छठे दिन...

नवरात्रि के पांचवें दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा, जानिए पूजा विधि, मंत्र, आरती और सब कुछ !

 चैत्र नवरात्रि के पंचम दिवस दुर्गा मां के स्कंदमाता रूप की पूजा- अर्चना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। वहीं पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं देवी हैं स्कंदमाता। आपको बता दें कि स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है इनकी उपासना से भक्त की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही भक्त को मोक्ष मिलता है। वहीं, मान्‍यता ये भी है कि इनकी पूजा करने से संतान योग की प्राप्‍ति होती है। जानिए नवरात्रि के पांचवे दिन की पूजा विधि, व्रत कथा, आरती, मंत्र, मुहूर्त… जानिए क्या है मां स्कंदमाता की पूजा विधि:  नवरात्रि का त्योहार सबसे पावन और पवित्र माना जाता है। इसलिए पंचम दिवस सबसे पहले स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। अब घर के मंदिर या पूजा स्‍थान में चौकी पर स्‍कंदमाता की तस्‍वीर या प्रतिमा स्‍थापित करें। इसके बाद गंगाजल से शुद्धिकरण करें फिर एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्‍के डालें और उसे चौकी पर रखें। अब पूजा का संकल्‍प लें। इसके बाद स्‍कंदमाता को रो...

नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कूष्मांडा देवी की उपासना, जानें पूजा विधि, मंत्र और भोग !

पूरे देश में नवरात्रि की धूम देखने को मिल रही है. नवरात्रि के नौ दिनों को बहुत ही पावन और शुभ माना जाता है. 5 अप्रैल, मंगलवार को नवरात्रि का चौथा दिन है. यह दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप देवी कूष्मांडा को समर्पित होता है! अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा मां कुष्ठमांडा ने अपने उदर से ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था.  माना जाता है जो भक्त मां के इस रूप की आराधना करते हैं, उन पर कभी किसी प्रकार का कष्ट नहीं आता. कुष्मांडा देवी को अष्टभुजा भी कहा जाता है. इनकी आठ भुजाएं हैं. अष्टभुजा देवी अपने हाथों में धनुष, बाण, कमल-पुष्प, कमंडल, जप माला, चक्र, गदा और अमृत से भरपूर कलश रखती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है. मां कूष्‍मांडा को दही और हलवे का भोग लगाया जाता है. तो चलिए जानते हैं  मां स्वरूप, भोग, पूजा विधि, शुभ रंग व मंत्र... इसलिए कहा जाता है कुष्मांडा धर्म शास्त्रों के अनुसार, अपनी मंद मुस्कुराहट और अपने उदर से ब्रह्मांड को जन्म देने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है. मां कूष्मांडा को तेज क...

नवरात्रि का तीसरा दिन आज, मां चंद्रघंटा की होगी पूजा, नोट कर लें पूजन विधि, मंत्र, आरती, महत्व और भोग !

 इस समय चैत्र नवरात्रि चल रही हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा- अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता चंद्रघंटा को राक्षसों की वध करने वाला कहा जाता है। ऐसा माना जाता है मां ने अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखा हुआ है। माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है, जिस वजह से भक्त मां को चंद्रघंटा कहते हैं। आइए जानते हैं माता चंद्रघंटा की पूजा विधि, महत्व, मंत्र और कथा...   माता चंद्रघंटा की पूजा विधि...  नवरात्रि के तीसरे दिन विधि- विधान से मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की अराधना करनी चाहिए। मां की अराधना उं देवी चंद्रघंटायै नम: का जप करके की जाती है। माता चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प अर्पित करें। आप मां को दूध से बनी हुई मिठाई का भोग भी लगा सकती हैं। नवरात्रि के हर दिन नियम से दुर्गा चालीस और दुर्गा आरती करें।   By:-culturalboy...