मुग़ल होली को ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पालशी कहते थे और बड़ी ही धूमधाम से उसे मनाते थे. अगर आप गूगल पर मुग़ल चित्र और ईद सर्च करेंगे तो आपको ईद की नमाज़ अदा करते जहांगीर की सिर्फ़ एक पेंटिंग मिलेगी लेकिन अगर आप मुग़ल और होली गूगल करेंगे तो आपको उस वक़्त के राजा और रानियों की तमाम पेंटिंग देखने को मिलेंगी, नवाब और बेगमों की होली मनाती तस्वीरें भी मिल जाएंगी.
पूरे मुग़ल सम्राज्य के दौरान होली हमेशा ख़ूब ज़ोर-शोर के साथ मनाई जाती थी. इस दिन के लिए विशेष रूप से दरबार सजाया जाता था.
लाल क़िले में यमुना नदी के तट पर मेला आयोजित किया जाता, एक दूसरे पर रंग लगाया जाता, गीतकार मिलकर सभी का मनोरंजन करते. राजकुमार और राजकुमारियां क़िले के झरोखों से इसका आनंद लेते.
रात के वक़्त लाल क़िले के भीतर दरबार के प्रसिद्ध गीतकारों और नृतकों के साथ होली का जश्न मनाया जाता.
नवाब मोहम्मद शाह रंगीला की लाल क़िले के रंग महल में होली खेलते हुए एक बहुत प्रसिद्ध पेंटिंग भी है.
By:-culturalboys.
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