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Showing posts from March, 2022

जानिए क्यों? बंगालियों के यहां दुर्गा पूजा में नॉनवेज खाने का है रिवाज !

बंगालियों के यहां दुर्गा पूजा में नॉनवेज खाने का रिवाज है। वे दुर्गापूजा के मौके पर नॉनवेज जरूर खाते हैं। लेकिन ऐसा क्यों?  हिंदुओं में दुर्गापूजा के व्रत में नमक को हाथ तक नहीं लगाया जाता है और अन्न भी नहीं खाया जाता है। यही नहीं नौ दिन तक वो सिर्फ सात्विक भोजन खाते हैं। साथ ही लहसुन प्याज की तरफ देखते तक नहीं है। ऐसे में आप समझ सकती हैं कि नॉनवेज के बारे में सोचना तक पाप समझा जाता है। लेकिन वहीं बंगालियों में दुर्गा पूजा के दिन नॉनवेज खाना जरूरी माना जाता है। उनके यहां नॉनवेज खाना एक रिवाज है, जिसे हर बंगाली फॉलो करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि क्यों हिंदु में शामिल बंगाली नॉनवेज खाते हैं। अगर नहीं जानते हैं तो आइए जानते हैं... बंगालियों में माता को मांस की बलि भी चढ़ाई जाती है फिर उसी को पकाकर खाया जाता है। पर सवाल वही जस का तस है कि बंगाली पूजा जैसे पावन अवसर पर नॉनवेज क्यों खाते हैं?  आस्था है कारण ! ये सारी कहानी आस्था से शुरू होती है और आस्था पर खत्म होती है। बंगालियों में भी कुछ खास समुदाय के लोग ही नॉनवेज खाते हैं जबकि कुछ ऐसा नहीं करते हैं। बंगालियों के जिस समुदा...

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के बारे में जानें 5 खास बातें !

  नई दिल्ली, 18 नवंबर: भारत में कई धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं। भारत में माने जाने वाले अनेक धर्मों में से एक सिख धर्म है, जो दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा धर्म है। सिख धर्म के संस्थापक सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव जी थे। देशभर में 19 नवंबर 2021 को यानी कार्तिक पूर्णिमा को गुरु नानक देव जी की 552वीं जयंती मनाई जाएगी। जिसे गुरु नानक के प्रकाश उत्सव या गुरु नानक जयंती के नाम से भी जाना जाता है। पारंपरिक चंद्र कैलेंडर के मुताबिक गुरुपर्व की तारीख साल-दर-साल बदलती रहती है। हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार जहां दिवाली कार्तिक महीने के 15वें दिन पड़ती है, वहीं गुरु नानक जयंती उसके पंद्रह दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पड़ती है। गुरु नानक देव अपने राजनीतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विश्वासों के लिए जाने जाते हैं। गुरु नानक देव जी ने हमेशा 'सभी के लिए समानता' का संदेश दिया, चाहे उनका धर्म, जाति या लिंग कुछ भी हो। उनका कहना था कि ईश्वर शाश्वत सत्य है। 1. गुरु नानक का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को हुआ था। उनकी जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। गुरु नानक जी के पिता का नाम मेहता...

रोजेदारो के सामने कुछ खाना क्यों नहीं चाहिए !

रमजान का महीना रोजेदारों के लिए आत्मनियंत्रण और संयम का महीना माना जाता है। इस महीने की गयी नेकियों का फल जल्दी मिलता है। रमजान का ये महीना मुसलमानों को खुद पर नियंत्रण रखने की सीख देता है। इस वजह से ये बात गलत है कि रोजेदारों के सामने कुछ खाना नहीं चाहिए। By:-culturalboys.

रंगों के त्योहार होली के बारे में जानें ये रोचक बातें !

होली हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है, यही वजह है कि इस पर्व के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं।  होली का त्योहार जल्द ही आने वाला है। ऐसे में इन दिनों बाजार में एक अलग रौनक देखने को मिलती है। खाने-पीने से लेकर कपड़ों तक, लोग शॉपिंग में जुटे रहते हैं। घरों में पापड़ और गुजिया बनाने का काम शुरू कर दिया, लोग दूर शहर से अपने घर त्योहार मनाने के लिए आते हैं। हर साल इस त्योहार को लेकर लोगों के मन में एक अलग उल्लास नजर आता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी इस त्योहार का इंतजार करते हैं और त्योहार के दिन आपस में मिलकर एंजॉय करते हैं। होली के बारे में आप में से ज्यादातर लोग काफी कुछ जानते हैं, मगर कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें होली के पीछे छुपी मान्यता और कहानी के विषय में ज्यादा जानकारी नहीं है।   By:-culturalboys.  

मुग़लकाल की होली ?

मुग़ल होली को ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पालशी कहते थे और बड़ी ही धूमधाम से उसे मनाते थे. अगर आप गूगल पर मुग़ल चित्र और ईद सर्च करेंगे तो आपको ईद की नमाज़ अदा करते जहांगीर की सिर्फ़ एक पेंटिंग मिलेगी लेकिन अगर आप मुग़ल और होली गूगल करेंगे तो आपको उस वक़्त के राजा और रानियों की तमाम पेंटिंग देखने को मिलेंगी, नवाब और बेगमों की होली मनाती तस्वीरें भी मिल जाएंगी. पूरे मुग़ल सम्राज्य के दौरान होली हमेशा ख़ूब ज़ोर-शोर के साथ मनाई जाती थी. इस दिन के लिए विशेष रूप से दरबार सजाया जाता था. लाल क़िले में यमुना नदी के तट पर मेला आयोजित किया जाता, एक दूसरे पर रंग लगाया जाता, गीतकार मिलकर सभी का मनोरंजन करते. राजकुमार और राजकुमारियां क़िले के झरोखों से इसका आनंद लेते. रात के वक़्त लाल क़िले के भीतर दरबार के प्रसिद्ध गीतकारों और नृतकों के साथ होली का जश्न मनाया जाता. नवाब मोहम्मद शाह रंगीला की लाल क़िले के रंग महल में होली खेलते हुए एक बहुत प्रसिद्ध पेंटिंग भी है. By:-culturalboys.

रंग इस्लाम में हराम?

इसके बाद जब मैंने होली की ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड की तो कुछ लोगों ने मुझे कहा कि मुसलमानों को होली नहीं खेलनी चाहिए क्योंकि इस्लाम में रंग हराम माना जाता है. मैं उन लोगों से इस बात का सबूत मांगना चाहती थी लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि मैं जानती हूं कि इस तरह की ग़लत धारणाएं अज्ञान और पूर्वाग्रहों से ही पनपती हैं. इस तरह के अज्ञानता विचारों से लड़ने का एक ही तरीक़ा है- उन पर ध्यान ही ना देना. नमाज़ पढ़ने के लिए जब हम वुज़ू करते हैं, तब हमारी त्वचा पर ऐसा कुछ भी नहीं लगा होना चाहिए, जो पानी को त्वचा के सीधे संपर्क में आने से रोके. ऐसे में बस इतना करना होगा कि वुज़ू करने से पहले गुलाल को धोना होगा. 700 साल पहले हज़रत अमीर ख़ुसरो की लिखी यह क़व्वाली आज भी काफ़ी लोकप्रिय है! By:-culturalboys.

होली क्यों मनाई जाती है ?

भारत देश त्योहारों का देश है, यहाँ भिन्न जाति के लोग भिन्न भिन्न त्यौहार को बड़े उत्साह से मनाया करते है और इन्ही त्यौहार में से एक त्यौहार है “होली”.  भारत में सामान्तया त्यौहार हिंदी पंचाग के अनुसार मनाये जाते है. इस तरह होली फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है. यह त्यौहार बसंत ऋतू के स्वागत का त्यौहार मनाया जाता है। By:-culturalboys.

घी का दिया जलाने से क्या होता है?

 घी का दीपक : आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने के लिए रोजाना घर के देवालय में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं। आश्रम तथा देवालय में अखंड ज्योत जलाने के लिए भी शुद्ध गाय के घी का या तिल के तेल का उपयोग किया जाता है। By:-culturalboys .

जानिए क्या है चरणामृत ?

  चरणामृत का अर्थ होता है भगवान के चरणों का अमृत और पंचामृत का अर्थ पांच अमृत यानि पांच पवित्र वस्तुओं से बना। दोनों को ही पीने से व्यक्ति के भीतर जहां सकारात्मक भावों की उत्पत्ति होती है वहीं यह सेहत से जुड़ा मामला भी है। शास्त्रों में कहा गया है- अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्। By:-culturalboys .

काली माता को बलि क्यों दी जाती है ?

बली प्रथा : देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि का प्रयोग किया जाता है। बलि प्रथा के अंतर्गत बकरा, मुर्गा या भैंसे की बलि दिए जाने का प्रचलन है। हिन्दू धर्म में खासकर मां काली और काल भैरव को बलि चढ़ाई जाती है।   By:-culturalboys.

वैष्णो देवी मंदिर के बारे में रोचक तथ्य !

  माँ वैष्णो देवी का मंदिर भारत का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल है। यह मंदिर जम्मू कश्मीर के राज्य के त्रिकुट पर्वत पर बसा हुआ है। माँ वैष्णो देवी का मंदिर पहाड़ो पर एक गुफा में स्थित है। इस मंदिर तक पहुचने के लिए भक्तों को कठिन चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। By:-culturalboys.

आखिर शिव ने क्यों थाम लिया था त्रिशूल, डमरू, नाग और चंद्रमा !

माना जाता है कि सृष्टि में जब भगवान शिवजी प्रकट हुए तो उनके साथ ही रज, तम और    सत गुण भी प्रकट हुए। सावन का महीना चल रहा है और इस महीने को भगवान शिवजी का प्रिय महीना माना जाता है। भगवान शिवजी की तस्वीरों में उनके एक हाथ में डमरू दिखता है तो दूसरे में त्रिशूल। वहीं उनके गले में नाग लटक रहा है और उनके सिर पर चंद्रमा। आज हम आपको बताएंगे, भगवान शिवजी के एक हाथ में डमरू, त्रिशूल, गले में नाग और सिर पर चंद्रमा होने की कहानी। शिवपुराण में भगवान शिवजी से जुड़ी कई बातों के बारे में बताया गया है। भगवान शिवजी को सभी प्रकार के अस्त्रों को चलाने में महारथ हासिल है। लेकिन भगवान शिवजी के लिए धनुष और त्रिशूल को प्रमुख माना गया है। भगवान शिवजी के धनुष का नाम पिनाक था। माना जाता है कि सृष्टि में जब भगवान शिवजी प्रकट हुए तो उनके साथ रज, तम और सत गुण भी प्रकट हुए। इन्हीं तीन गुणों से मिलकर भगवान शिवजी का त्रिशूल बना। जब सृष्टि में सरस्वती पैदा हुई तो उनकी वाणी से ध्वनि पैदा हुई, लेकिन ये ध्वनि सुर और संगीत विहीन थे। आवाज में संगीत पैदा करने के लिए भगवान शिवजी ने 14 बार डमरू बजाया और नृत्य किया। ...

ईसाई धर्म के संस्थापक कौन थे?

 ईसाई लोग ईश्वर को तीन रूपो में मानते है। 1 - परमपिता 2 - परमपिता का पुत्र - ईसा मसीह 3 - पवित्र आत्मा - जो हर एक प्राणी के इतिहास में निवास करती है। इसके अलावा ईसाई धर्म से संबन्धित पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिये आप एक ब्लॉग पोस्ट पढ़ सकते है। ईसा मसीह को ही ईसाई धर्म का संस्थापक माना जाता है। By:-culturalboys.

महाशिवरात्रि का मतलब क्या है ?

शिवजी, रात्रि एक प्रहर विश्राम करते हैं। उनके इस विश्राम के काल को 'महाशिवरात्रि' कहते हैं। महाशिवरात्रि दक्षिण भारत एवं महाराष्ट्र में शक संवत् कालगणनानुसार माघ कृष्ण चतुर्दशी तथा उत्तर भारत में विक्रम संवत् कालगणनानुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को आती है। By:-culturalboys.