दीपावली का पर्व आदि काल से मनाया जाता है। इसे संसार में खुशी का प्रतीक माना गया है। दीपावली के दिन अन्य कई इतिहास भी जुड़े है। भगवान् श्री कृष्ण इसी दिन शरीर मुक्त हुए। जैन मत के अनुसार अंतिम तीर्थकर भगवान् महावीर, महर्षि दयानंद सरस्वती ने दीपावली को ही निर्वाण प्राप्त किया। लेकिन हिन्दुओं का मत है कि दीपावली के दिन रामजी के विजयी होकर अयोध्या लौटे थे। उनकी खुशी में घी के दीपक जलाए गए और खुशियां मनाई गई।
राम-सीता और लक्ष्मण की खुशी में दीपावली मनाई जाती है तो इस दिन राम की पूजा क्यों नहीं की जाती। सिर्फ लक्ष्मी पुत्र गणेश, विष्णु पत्नी लक्ष्मी, सरस्वती का ही पूजन क्यों किया जाता है। आइए हम बताते है इस रहस्य को। युगो पुरानी बात है। जब समुद्रमंथन नही हुआ था। उस दौरान देवता और राक्षसों के बीच आए दिन युद्ध होते रहते थे। कभी देवता राक्षसों पर भारी पड़ते तो कभी राक्षस। एक बार देवता राक्षसों पर भारी पड़ रहे थे। जिसके कारण राक्षस पाताल लोक में भागकर छिप गए।
राक्षस जानते थे कि वे इतने शक्तिशाली नही कि देवताओं से लड़ सकें। देवताओं पर महालक्ष्मी अपनी कृपा बरसा रही थी। मां लक्ष्मी अपने 8 रूपों के साथ इंद्रलोक में थी। जिसके कारण देवताओं में अंहकार भरा हुआ था। एक दिन दुर्वासा ऋषि समामन की माला पहनकर स्वर्ग की तरफ जा रहे थे। रास्ते में इंद्र अपने ऐरावत हाथी के साथ आते हुए दिखाई दिए। इंद्र को देखकर ऋषि प्रसन्न हुए और गले कि माला उतार कर इंद्र की ओर फेकी। लेकिन इंद्र मस्त थे। उन्होनें ऋषि को प्रणाम तो किया लेकिन माला नही संभाल पाएं और वह ऐरावत के सिर में डाल गई।
By:-culturalboys
Comments
Post a Comment