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यहूदी धर्म को जानें!


PART 2

यहूदी त्योहार : शुक्कोह, हुनक्का, पूरीम, रौशन-शनाह, पासओवर, योम किपुर।

यरुशलम : येरुशलम इसराइल देश की विवादित राजधानी है। इस पर यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम धर्म, तीनों ही दावा करते हैं, क्योंकि यहीं यहूदियों का पवित्र सुलैमानी मन्दिर हुआ करता था, जो अब एक दीवार मात्र है। यही शहर ईसा मसीह की कर्मभूमि रहा है। यहीं से हजरत मुहम्मद स्वर्ग गए थे। इसीलिए यह विवाद का केंद्र है। लेकिन असल में येरुशलम प्राचीन यहूदी राज्य का केंद्र और राजधानी रहा है। यही पर मूसा ने यहूदियों को धर्म की शिक्षा दी थी।

अन्य पैंगबर : आदम, अब्राहम के अलावा मान्यता है कि राजा 'मनु' को ही यहूदियों ने 'नूह' माना है। नूह ने ईश्वर के आदेश पर जल प्रलय के समय बड़ी-सी किश्ती बनाई थी और उसमें सृष्टि के सभी प्राणियों को रखकर सृष्टि को बचाया था। राजा मनु की कहानी भी ऐसी ही है ।

महान यहूदी : ईसा मसीह के बाद कलाकार एंजेलो, चित्रकार पाब्लो पिकासो, कार्ल मार्क्स और अल्बर्ट आइंसटीन के अलावा ऐसे सैकड़ों प्रसिद्ध यहूदी हुए हैं जिनका विज्ञान और व्यापार में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यहूदियों द्वारा मानव समाज के विकास में जो योगदान किया गया है उसे भूला नहीं जा सकता।

यहूदी इतिहास : यहूदी धर्म का इतिहास करीब 4000 साल पुराना माना जाता है। कहते हैं कि मिस्र के नील नदी से लेकर इराक के दजला-फरात नदी के बीच आरंभ हुआ यहूदी धर्म का इजराइल सहित अरब के अधिकांश हिस्सों पर राज था। मूसा से लेकर सुलेमान तक प्राचीन समय में ही यहूदियों का 'भारत' से गहरा संबंध रहा है इस बात के कई प्रमाण है।

मिस्र पर कुछ समय तक यदुवंशियों का भी राज रहा था। वैसे इसका प्रचीन धर्म इजिप्ट था। ऐसा माना जाता है कि पहले यहूदी मिस्र के बहुदेववादी इजिप्ट धर्म के राजा फराओ के शासन के अधिन रहते थे। बाद में मूसा के नेतृत्व में वे इजरायल आ गए। ईसा के 1100 साल पहले जैकब की 12 संतानों के आधार पर अलग-अलग यहूदी कबीले बने थे, जो दो गुटों में बँट गए। पहला 10 कबीलों का बना था वह इजरायल कहलाया और दूसरा जो बाकी के दो कबीलों से बना था वह जुडाया कहलाया। जुडाया पर बेबीलन का अधिकार हो गया। बाद में ई.पू. सन् 800 के आसपास यह असीरिया के अधीन चला गया। असीरिया प्राचीन मेसोपोटामिया का एक साम्राज्य था, जो यह दजला नदी के उपरी हिस्से में बसा था। 10 कबीलों का क्या हुआ पता नहीं चला।

फारस के हखामनी शासकों ने असीरियाइयों को ई.पू. 530 तक हरा दिया तो यह क्षेत्र फारसी शासन में आ गया। यूनानी विजेता सिकन्दर ने जब दारा तृतीय को ई.पू. 330 में हराया तो यहूदी लोग ग्रीक शासन में आ गए। सिकन्दर की मृत्यु के बाद सेल्यूकस के साम्राज्य और उसके बाद रोमन साम्राज्य के अधीन रहने के बाद ईसाईयत का उदय हुआ। इसके बाद यहूदियों को यातनाएँ दी जान लगी।

7 वीं सदी में इस्लाम के आगाज के बाद यहूदियों की मुश्किलें और बड़ गई। तुर्क और मामलुक शासन के समय यहूदियों को इजराइल से पलायन करना पड़ा। अंतत: यहूदियों के हाथ से अपना राष्ट्र जाता रहा। मई 1948 में इजराइल को फिर से यहूदियों का स्वतंत्र राष्ट्र बनाया गया। दुनिया भर में इधर-उधर बिखरे यहूदी आकर इजरायली क्षेत्रों में बसने लगे। वर्तमान में अरबों और फिलिस्तिनियों के साथ कई युद्धों में उलझा हुआ है एकमात्र यहूदी राष्ट्र इजरायल।  

By:-culturalboys.

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