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हिंदू धर्म की कुछ अनूठी बातें जो नास्तिकों को भी अच्‍छी लगती हैं !

 

PART 1

अगर कोई आपसे कहे कि हिंदू असल में कोई धर्म ही नहीं बल्कि असल में ये सनातन धर्म है तो? हिंदू धर्म से जुड़ी ऐसी कई बातें हैं जो अक्सर लोगों को पता नहीं होती!

किसी धर्म की परिभाषा क्या होती है? उस धर्म का पालन करने वाले लोगों के रीति रिवाज कहां से आते हैं? अगर बात हिंदू धर्म की करें तो क्या आप जानते हैं कि इस धर्म का कोई संस्थापक नहीं है. जी हां, दुनिया के सबसे पुराने धर्म का कोई पिता ही नहीं है. अब बात करते हैं हिंदू धर्म और उससे जुड़े कुछ ऐसे तथ्यों की जो अधिकतर लोग नहीं जानते!

1. 'Hinduism' एक धर्म या जीने का तरीका?

जैसा की पहले भी बताया जा चुका है कि हिंदु धर्म का कोई संस्थापक नहीं है. माना जाता है कि कुछ संतों ने मिलकर जीने के एक तरीका का प्रचार करना शुरू किया था. इसे हिंदू धर्म भी नहीं सनातन धर्म कहा जाता था.

2. आखिर कहां से हुई शुरुआत..

ये धर्म कुछ 1500-2000 ईसा पूर्व शुरू हुआ और उस समय भी हिंदू धर्म का कोई एक नहीं बल्कि कई प्रचारक थे. कुछ लोग इस धर्म को 5500 ईसा पूर्व तक मानते हैं. उस समय सिंधू नदी के पास रहने वालों का एक धर्म बन गया जो प्रकृति की किसी भी चीज़ को भगवान मानते थे.

3. कहां से आया शब्द हिंदू...

धर्म के रिसर्च स्कॉलर Gavin Flood के अनुसार हिंदू शब्द असल में हिंदुस्तान का नहीं बल्कि फारस या पर्शिया का है. ये शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता था जो सिंधु नदी के दूसरी तरफ रहते थे. खास तौर पर छठवीं सदी में राजा Darius I (550–486 BCE) के लेखों में इस शब्द को देखा जा सकता है. ये शब्द उस समय भूगोलिक शब्द की तरह इस्तेमाल किया जाता था और न किसी धर्म की तरह. धर्म की बात तो चौदवीं सदी तक फारसी दस्तावेज फुतूह सलातिन (अब्द अल मलिक इसामी द्वारा लिखा गया) में मिलती है. इसके अलावा, सातवीं सदी के Xuanzang द्वारा लिखे गए चीनी लेख में धर्म का वर्णन मिलता है.

4. सुप्रीम कोर्ट की मुहर...

सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में एक फैसला सुनाया था जिसमें कहा गया था कि हिंदू धर्म असल में कोई धर्म नहीं बल्कि जीने का एक तरीका है. इतने सालों में कई बार सुप्रीम कोर्ट ने Hindu, Hindutva, Hinduism आदि शब्दों को कई बार समझाया है. अक्सर हिंदुत्व को हिंदू धर्म का कट्टर अंग माना जाता है, लेकिन ऐसा है नहीं.

PART 2 IS COMING SOON.....

By:-culturalboys.

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