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क्रॉस पर ईसा मसीह के ये थे वो आखिरी सात वचन, पढ़ें...

 आज गुड फ्राइ-डे है. गुड फ्राइ-डे को होली फ्राइ-डे, ब्लैक फ्राइ-डे या ग्रेट फ्राइडे के अलग अलग नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन प्रभु यीशु को क्रॉस पर लटका कर मारने का दंड दिया गया. लेकिन अपने हत्यारों पर क्रोध करने के बजाए यीशु ने उनके लिए प्रार्थना करते हुए कहा कि ' हे ईश्वर ! इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं'. जिस दिन ईसा मसीह को क्रॉस पर लटकाया गया था, उस दिन फ्राइ-डे यानी कि शुक्रवार था, तभी से उस दिन को गुड फ्राइडे मनाने कि परम्परा चली आ रही है. इसाई धर्म कि मान्यताओं के अनुसार,  माना जाता है कि उसके दो सप्ताह बाद इसके दो दिन बाद वह फिर से जीवित हो गए थे. आइए जानते हैं क्या थे ईसा मसीह के आखिरी शब्द... -आखिरी समय में यीशु ने काफी तह आवाज में पुकार रहे थे 'एली, एली, लमा शबक्तनी?; इसका मतलब है कि हे मेरे परमेश्‍वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया है? यीशु अपने पहले वचन में त्यागे जाने कि भावना को व्यक्त किया था. वचन के अनुसार, परमेश्‍वर ने यीशु के ऊपर संसार के समस्त पापों को डाल दिया था और इस कारण परमेश्‍वर को यीशु की ओर से जाना पड़ा था. -हे पिता, इन्...
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जानें पूरी दुनिया में ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले गौतम बुद्ध के बारें में 10 रोचक बातें !

सिद्धार्थ गौतम को शाक्यमुनी के नाम से भी जाना जाता है, जिन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी और बाद में उन्हें बुद्ध नाम से जाना गया है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध का जन्मदिन मनाया जाता है, क्योंकि यह माना जाता है कि उनका जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था। आइए हम आपको गौतम बुद्ध से जुड़े ऐसे ही कुछ रोचक तथ्य बताते हैं, जो शायद ही आपने इससे पहले पढ़ा हो। 1. बुद्ध ने अपने अनुयायियों को तीन प्रमुख सिद्धांत सिखाये हैं। पहला घमंडी नहीं होना चाहिए, दूसरों से नफरत न करें, तीसरा अपने गुस्से का त्याग करें। 2. गौतम बुद्ध का जन्म एक महान राजा के घर हुआ था। लेकिन सच्चाई के मार्ग का पालन करने के लिए उन्होंने अपना घर तक छोड़ दिया था और वन में जाकर ईश्वर की तपस्या में लीन हो गए थे। इसके बाद उन्हें सिद्धार्थ के बजाय गौतम बुद्ध के नाम से जाना जाने लगा। 3. ऐसा कहा जाता है कि वह नियमित रूप से उपवास करते थे और सामान्यतः वह मीलों तक का पैदल ही सफर तय करते थे, जिससे वह चारों तरफ ज्ञान फैला सकें। 4. गौतम बुद्ध के जन्म के बाद एक संत ने यह भविष्यवाणी की थी कि वह आगे चलकर राजा या संत बनेंगे, जो पूरी दुनिया मे...

सूली पर चढ़ाए जाने के बाद जीसस क्राइस्ट बच गए, उनका मकबरा आज भी भारत में है !

  नई दिल्ली। जीसस क्राइस्ट, जिसे जीसस या जीसस क्राइस्ट भी कहा जाता है, ईसाई धर्म के प्रवक्ता थे। ईसाई उन्हें ईश्वर का पुत्र मानते हैं और उनके जीवन को बाइबिल के रूप में जानते और समझते हैं। ईसा मसीह का जीवन दुखों में बीता और उनका कहना है कि उनकी बढ़ती लोकप्रियता के कारण यहूदियों ने उन्हें साजिश के तहत मारने की कोशिश की। यहूदी डरते थे कि यीशु मसीह उनसे उनकी शक्ति छीन न ले, इसलिए उन्हें सूली पर चढ़ाया गया। आज ईसा मसीह को ईसाई धर्म के लोग पूरी दुनिया में जानते हैं और भारत में ऐसे कई लोग हैं जो उन पर विश्वास करते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ईसा मसीह को यहूदियों ने अपने स्वार्थ के लिए सूली पर चढ़ाया था क्योंकि लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता उनके डर का मुख्य कारण थी। अपनी पुस्तक, द अननोन लाइफ ऑफ जीसस क्राइस्ट में, एक रूसी विद्वान निकोलस नोटोविच ने खुलासा किया कि यहूदियों द्वारा मारे जाने के बाद भी ईसा मसीह जीवित थे। वहीं दूसरी ओर लोगों का मानना ​​है कि ईसा मसीह मरे नहीं थे बल्कि सूली पर चढ़ाए जाने के बाद वे जीवित थे। 'द अननोन लाइफ ऑफ जीसस क्राइस्ट' किताब में ...

क्यों और कैसे पहनी जाती है कछुए की अंगूठी ?

कछुए  की  अंगूठी  को पहनते समय ध्यान रखें कि उसका चेहरा आपकी तरफ होना चाहिए। इससे धन  आपकी तरफ आकर्षित होता है।अगर बाहर की तरफ मुख होगा तो धन आने   के  बजाय   चला  जाएगा।  वहीं  अंगूठी  को सीधे हाथ की बीच वाली उंगली यानी मध्यमा उंगली में या फिर अंगूठे के पास वाली यानी  तर्जनी उंगली में पहनें। By:-culturalboys.

क्यों पहनी जाती है कछुए की अंगूठी ?

कछुए  का सीधा संबंध मां लक्ष्मी से माना  जाता  है, क्योंकि माता की उत्पत्ति भी जल से ही हुई थी।  मान्यता है कि इसे धारण करने से जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।इस  अंगूठी  को  पहनने  से पहले इसकी दिशा का विशेष ध्यान रखें।    By:-culturalboys.

आखिर क्यों ढका जाता है सिर, पूजा करते समय ?

सभी धर्मों की स्त्रियां दुपट्टा या साड़ी के पल्लू से अपना सिर ढंककर रखती हैं। सिर ढंककर रखना सम्मान सूचक भी माना जाता है। इसके वैज्ञानिक कारण भी है। सिर मनुष्य के अंगों में सबसे संवेदनशील स्थान होता है। ब्रह्मरंध्र सिर के बीचों-बीच स्थित होता है। मौसम का मामूली से परिवर्तन के दुष्प्रभाव ब्रह्मरंध्र के भाग से शरीर के अन्य अंगों में आतें हैं। इसके अलावा आकाशीय विद्युतीय तरंगे खुले सिर वाले व्यक्तियों के भीतर प्रवेश कर क्रोध, सिर दर्द, आंखों में कमजोरी आदि रोगों को जन्म देती है। सिर के बालों में रोग फैलाने वाले कीटाणु आसानी से चिपक जाते हैं, क्योंकि बालों की चुंबकीय शक्ति उन्हें आकर्षित करती है। रोग फैलाने वाले यह कीटाणु बालों से शरीर के भीतर प्रवेश कर जाते हैं। जिससे व्यक्ति रोगी को रोगी बनाते हैं। इसी कारण सिर और बालों को जहां तक हो सके सिर और बालों को ढककर रखना हमारी परंपरा में शामिल है। साफ , पगड़ी और अन्य साधनों से सिर ढंकने पर कान भी ढंक जाते हैं। जिससे ठंडी और गर्म हवा कान के द्वारा शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती। कई रोगों का इससे बचाव हो जाता है। सिर ढंकने से आज का जो सबसे गंभीर रोग...

चर्च की घंटी !

ईसाई परंपरा में एक चर्च की घंटी एक घंटी है जो एक चर्च में विभिन्न औपचारिक उद्देश्यों के लिए बजाई जाती है, और इमारत के बाहर सुनी जा सकती है। परंपरागत रूप से उनका उपयोग उपासकों को एक सांप्रदायिक सेवा के लिए चर्च में बुलाने के लिए और दैनिक ईसाई प्रार्थना के निश्चित समय की घोषणा करने के लिए किया जाता है, जिसे विहित घंटे कहा जाता है , जो संख्या सात है और संक्षिप्त रूप में निहित हैं । उन्हें विशेष अवसरों जैसे शादी , या अंतिम संस्कार पर भी गाया जाता हैसेवा। कुछ धार्मिक परंपराओं में उनका उपयोग चर्च सेवा के लिटुरजी में लोगों को यह बताने के लिए किया जाता है कि सेवा का एक विशेष हिस्सा पहुंच गया है। [१] ईसाई परंपरा में चर्च की घंटियों को बजाना भी राक्षसों को बाहर निकालने के लिए माना जाता है । [२] [३] [४] दुनिया भर में ईसाई चर्चों में इस्तेमाल की जाने वाली पारंपरिक यूरोपीय चर्च की घंटी (कटअवे ड्राइंग देखें) में एक कप के आकार का धातु गुंजयमान यंत्र होता है, जिसके अंदर एक पिवट वाला क्लैपर होता है, जिसके अंदर घंटी बजने पर पक्षों पर प्रहार होता है। इसे किसी चर्च या धार्मिक भवन की मीनार या घंटाघर के भीत...